क्या ये आर्थिक मंदी की शुरुआत है ?

आज के सभी अखबार बाजार के पिछले दो साल के न्यूनतम स्तर दस हजार के नीचे बंद होने को लेकर रंगे पड़े है ! कल फिरंगियों के साथ २  म्युच्युअल फ़न्डो ने  भी जम कर बिकवाली की ! आन लाइन ट्रेडिंग की शुरुआत से ही मैं कंप्यूटर स्क्रीन देखने का अभ्यस्त  रहा हूँ , पर कल जिन शेयर्स को मैं स्क्रीन पर देख रहा था उनमे आई बिकवाली किसी भूचाल से कम नही लग रही थी !  कंपनियों के कमजोर नतीजे, बढ़ती बेरोजगारी, और चरमराती अर्थव्यवस्था कुछ चिंताएं तो अवश्य पैदा कर रही है !   कुछ बाजार विश्लेषक यह भी मान रहे हैं की ज्यादातर वितीय संस्थान अपनी स्थिति सपष्ट नही कर रहे हैं इस वजह से ये मंदी कितनी भयावह हो सकती है इस बात का अंदाज लगाना बड़ा मुश्किल हो रहा है !

 

कुछ लोग इस मंदी की तुलना  १९३० की महा  मंदी से करने लगे हैं ! वो मंदी भी अमेरिका से शुरू हुई थी ! अमेरिकी शेयर बाजार ने १९२३ में चढ़ना शुरू किया था और निरंतर बढ़ते हुए २४ अक्टूबर १९२९ धराशायी को हो गया था ! उस दिन उस समय के ५ अरब डालर साफ़ हो गए थे ! इसी क्रम में २९ अक्टूबर को फ़िर १४ अरब डालर लुट पिट गए ! १९३२ तक यह क्रम चला ! करीब ४० अरब डालर का नुक्सान और अनेकों  बैंको का दीवाला निकल गया ! हर तरह के उपाय किए गए पर कोई भी उपाय काम नही आया ! इस मंदी का असर सारे विश्व पर पडा ! और ये मंदी अभी तक महामंदी के नाम से जानी जाती रही है !

 

आज सुबह छुट्टी के मूड में यह तय किया था की अगले सप्ताह के २ हरयाणवी पोस्ट तैयार करके फीड कर देंगे, क्योंकि आने वाला सप्ताह दिवाली की वजह से कुछ व्यस्त रहेगा ! जैसे ही मेल बॉक्स खोला तो आई हुई रिपोर्ट्स पढ़ने के बाद  आपसे गप-शप करने को  बैठ गया !

 

और अंत में मुझे यहाँ आपसे एक बात और कहनी है की आज अचानक मुझे श्री राकेश झुनझुनवाला के एक इंटरव्यू की याद आगई ! राकेश झुनझुनवाला वो सख्स है जिसने उस समय शेयर बाजार में  कचरे के भाव ब्ल्यू-चिप शेयर खरीदे थे जब सब लोग शेयर बाजार से दूर रहने की सलाह दे रहे थे ! उस समय इस शख्श ने कहा था की आज शेयर बाजार खरीदी के काबिल है ! और लोग मुझे बेवकूफ समझ रहे हैं ! आज मैं खरीदने  का कह रहा हूँ और लोग बेचे जा रहे हैं ! जिस समय मैं बेचने का कहूंगा उस समय भी लोग मुझे बेवकूफ ही कहेंगे क्योंकि मैं उस समय शेयर बेच रहा होवुंगा और लोग खरीदी कर रहे होंगे ! और ये का ये ही हुवा ! पिछले साल जब ये शेयर बाजार अपने पीक पर था , तब  एक टी.वी. साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया  की आपने अपनी इन्वेस्टमेंट से करोड़ों रुपये कमा लिए हैं  और आप एक  सफलतम  शेयर व्यवसायी सिद्ध हुए हैं ! आप अब क्या टिप देंगे ?


उन्होंने कहा - मेरे हिसाब से अब बिकवाली करनी चाहिए ! अब खरीदने की सोचना तो आत्महत्या करने जैसा कदम होगा ! और लोग अब मुझे फ़िर बेवकूफ कहेंगे !  और ये ही हुवा ! लोग रुपये की पोटली उठाये शेयर बाजार में भागे चले आ रहे थे और राकेश झुनझुनवाला जैसे दूरदृष्टा अपना माल बेच कर चैन की बाँसुरी बजा रहे थे ! शायद इसी को दूरदृष्टी कहते होंगे !

Comments

  1. मंदी की शुरुआत हो गयी लगती है.. पोस्ट भी कम आ रही है और टिप्पणिया भी..

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  2. ताऊ आजकल काम की बात बता रहे हैं .

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  3. जो भी हो बड़ा रोचक समय है ! आप झुनझुनवाला को देखिये हम वारेन बफे को देख रहे हैं :-)

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  4. इस गणित में अपुन बहुत कमजोर है.....बस रोज यही देखते सुनते है की सेंसेक्स गिरा ,उठा ......उछला .....कोई सेंसेक्स है जो मुंबई की किसी बिल्डिंग में रहता है ....या झुनझुनवाला जैसे लोग टी वी पर कुछ कमेन्ट करते हुए बिल्कुल चाँद से उतरे हुए बुद्दिजीवी लगते है.....इसलिए मंदी कब आयी .कब जायेगी ....पता नही चलता ....

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  5. हमें यह शेयरबाजी कभी भी अच्छी न लगी। अपना कमाओ, खाओ और मस्त रहो।

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  6. दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""

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  7. अब खरीदने की सोचना तो आत्महत्या करने जैसा कदम होगा ! और लोग अब मुझे फ़िर बेवकूफ कहेंगे ! और ये ही हुवा ! लोग रुपये की पोटली उठाये शेयर बाजार में भागे चले आ रहे थे और राकेश झुनझुनवाला जैसे दूरदृष्टा अपना माल बेच कर चैन की बाँसुरी बजा रहे थे ! शायद इसी को दूरदृष्टी कहते होंगे !

    ' hmm sach kha lakin sub log to jhunjhunwala nahe ho skty na, but tau jee aapne baat bdee hee ptey kee kahee hai, abhee subeh ptta chla ap khait mey teen choron ko neepat rhee thy, or fir ptta chla bareesh mey kuch meethaee kreed rhe thy ot ab share mkt mey???????? itna kary bhar kaise smbhal rhen hain aap?????

    Regards

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  8. मन्दी की शुरुआत? निश्चय ही!
    आपने सन १९३० की महामन्दी की याद दिला कर फोकस सही कर दिया।
    तनाव और अवसाद तो बढ़ेगा। शायद आत्महत्यायें भी। पर मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि भुखमरी न फैले। लोग अन्न की कमी से न मरें।
    पता नहीं, मैं जबरन पैसिमिस्ट बन रहा हूं क्या?:(

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  9. मंदी की शुरुआत तो है ही. मंदी और तेजी अर्थव्यवस्था में होती रहेगी. हम लगातार एक जैसे दिनों से नहीं गुजर सकते. असल में सवाल मंदी का नहीं है. सवाल ये है कि मंदी से निबटने के लिए हमारे पास क्या इंतजाम हैं? १९३० से जो मंदी अमेरिका में शुरू हुई थी, वो तीन साल के बाद नियंत्रण में आ गई थी. कारण था अमेरिकी सरकार की सोच, उनका प्लान और प्लान के हिसाब से काम. उनदिनों की बातें पढ़ते, तसवीरें देखते हैं तो सिहरन सी हो जाती है. लेकिन मंदी का मुकाबला किया वहां की सरकार ने. मंदी का कारण वही था, जो आज है. मतलब जनता को ऐसी चीजें खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना जिसकी जरूरत उसे नहीं थी. आज भी वही बात है. लेकिन उस मंदी के दौर में वहां की सरकार जिस तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया वो बहुत बड़ी दूरदर्शिता का परिणाम था. पैसे की कमी के कारण लोगों को फ़ूड फॉर वर्क जैसे प्रोग्राम में लगाया गया. और भी बहुत से काम किए गए जिससे मंदी को नियंत्रित किया जा सके.

    लेकिन हमारे देश में क्या ऐसा हो सकता है? पता नहीं, जिस तरह के दिन आ रहे हैं, सरकार कुछ कर सकेगी, उसका चांस बहुत कम है. अगले साल हमारे यहाँ चुनाव हैं. ऐसे में सरकार और राजनैतिक दल अर्थव्यवस्था के लिए समय देंगे, ऐसा नहीं लगता. और फिर इसी साल सरकार ने क्या किया? कुछ नहीं. केवल न्यूक्लीयर डील पास करवाया. आर्थिक मामलों पर जब काम करने की बात आई तो केवल व्याज दरें बढ़ाकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की कोशिश की गई. नतीजा सामने है. उद्योग और लोगों के लिए पैसे का अकाल. अब केवल स्टॉक मार्केट की हालत देखकर सीआरआर कम किया जा रहा है. शायद सरकार को लगता है कि स्टॉक मार्केट का अच्छा होना ही अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है.

    ऐसी सरकार क्या देगी हमें?

    दो रुपया किलो चावल और मुफ्त की बिजली? वो बिजली जो है ही नहीं.

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  10. आलोक पुराणिक जी की नजर यहाँ क्यों नही पड़ती :-)

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  11. वहाँ राकेश झुनझुनवाला और यहाँ वॉरेन बफेट..एक ही बात है..

    -लेकिन सभी इनके जैसे हो जायें तो इनकी तो लुटिया डूबी ही समझो.

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  12. भाई ताऊ ये शेयर वेयर का चक्कर तो अपन को कभी कुछ समझ नाही आया ! लिखा आपने अच्छा है !

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  13. ताऊ जी ,ये ज्ञान की बात बहुत अच्छी लगी, शेयर बाज़ार और वित्तीय विषयों में अपना हात ज़रा तंग है ,फिर भी काफ़ी कुछ समझ में आ गया !!!!!!!!!!

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  14. भाई अपने को इन से कोई वास्ता नही उछले, गिरे, कुदे मरे सानू कि,
    हम ने दो दो रोटिया ओर सब्जी खानी है, साथ मे थोडा सा सालद ओर इतना ही काफ़ी है जीने के लिये ओर मस्ती के लिये,
    धन्यवाद .

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  15. कभी निफ़्टी और सेंसेक्स को भी समझायें मेरे मित्र के साठ सत्तर हजार इस क्रेश मे डुब गये है तब से इसे समझने की तलब पैदा हो गयी है!!

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  16. मिश्रा जी की कमेंट सटीक और धांसु लग रही है !!

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  17. सुन्दर बात!

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  18. बहुत बढ़िया लेख !

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  19. शेयर मार्केट में पैसा हमने नहीं लगाया या फ़िर यह हमें प्रत्यक्ष रूप से उतना प्रभावित नहीं करेगा... ऐसा सोचकर आशंकित मंदी को अनदेखा करना शुतुरमुर्गी पहल होगी जनता एवम सरकार दोनों की. ....देखें अपनी किस्मत में कांटा है या फूल है. अच्छी जानकारी आपकी और उस पर add किया मिश्रा जी ने.

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  20. भई वाह ताऊ
    विश्लेषणमयी चिंतन सार्थक भी अर सटीक भी सामयिक तो है ही
    इसा काम हरियाणे का माणस ही कर सकै
    आपको बधाई और शुभकामनाएं

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  21. मंदी ने तो यहाँ भी बैंड बजाकर रखी है, ये मंदी तो बहुत गंदी है जी

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  22. वारेन बफे ने भी बिल्कुल यही किया इस शुक्रवार को. अरे और कुछ नहीं तो डिविडेंड तो मिलेगा ही न!

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  23. छा गए गुरु क्‍या लोगों को चेताया है अक्‍कड बक्‍कड बम्‍बे बौ अस्‍सी नब्‍बे पूरे सौ बहुत ही अच्‍छा लेख

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  24. क्या बात है ताऊ जी
    चोखा विश्लेषण से...........

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  25. ताऊ सही बात है . आपने पहले भी ए़क बार ये बात बताई थी .

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