ताऊ और गोटू सुनार की सुलह

आपने पिछली पोस्ट मे  पढा था कि ताऊ जब कुयें मे छुपकर बैठा था तब गोटू सुनार ताऊ को बेवकूफ़ बना कर सब माल असबाव ले ऊडा था. और ताई ने जैसे तैसे ताऊ को कुये से बाहर निकाला था. अब आगे पढिये.

 

सुनार भी कोई ताऊ से कम नही था. उसने आकर सारा माल तो छुपा दिया और अपनी लुगाई को समझा दिया कि ताऊ आये तो बताना मत कुछ भी.

 

सुनार अपने खेत मे जाकर बाजरे की कडबी की छ्युंरी ( सुखे बाजरे के तने को चारे के काम मे लिया जाता है. और उसको आपने देखा होगा कि खेतों मे  एक गोल घेरे मे खडा करके रखा जाता है. उसे ही छ्य़ुंरी कहते हैं) मे जाकर छुप गया. सुनारिन उसको वहीं खाना पहुंचा दिया करती थी.

 

ताऊ ने गोटू सुनार के घर जाकर उसकी बीरबानी से पूछने की बहुत कोशीश की पर उसने ताऊ को बिल्कुल भी दाद नही दी. और इधर ताऊ हार मानने को तैयार नही.

 

त्ताऊ ने भी आखिर जासूसी करके पता लगा लिया कि गोटू उसके खेत मे बाजरे की छ्यूंरी मे घुस कै बैठा है. सो इब ताऊ उसका इलाज करण की सोचण लाग गया और जल्दी ही ताऊ ने उसका उपाय ढुंढ भी लिया.

 

ताऊ ने कहीं से मरे हुये बैलों के दो सींग ढूढ कर  अपने सिर पर बांध लिये और काला कम्बल ओढ लिया. अंधेरी रात का समय था . थोडा अंधेरा होते ही ताऊ पहुंच गया गोटू सुनार के खेत पर.

 

वहां पहुंचकर उसने अपने सींगों सेइस तरह बाजरे की कडबी मे सींग मारने शुरु किये जैसे कोई बैल मारता है. गोटू सुनार ने सोचा कि कोई बैल होगा. ताऊ ने फ़िर दुबारा..तिबारा..कडबी को कुरेदा तो गोटू सुनार बोला- कम्बख्त ये लोग भी अपने जानवरों को सम्भाल कर नही रख सकते...

 

इब उसकी आवाज सुनकर ताऊ को पता लग गया कि गोटू किधर की तरफ़ है सो बैल बने ताऊ ने उधर ही जाकर जोर जोर से सींग मारने शुरु कर दिये. अब गोटू सुनार ने थोडी सी कडबी एक तरफ़ हटाकर उसके सींग पकड लिये..और बैल को एक तरफ़ हटाने लगा..हट..हट.. अरे हट रे तेरा धणी मरे...हट... यहां क्या रखा है?...जा तेरे धणी के दरवाजे जा कर मर....मेरा सुसरा..भाग....सानी भूसा वहीं मिलेगा..जा सुसरे यहां तो सूखी कडबी है.


इब ताऊ को जोर से हंसी आगई और उसने सुनार के दोनों हाथ पकड कर जोर से झटका दे कर गोटू को बाहर खींच लिया. झटका लगते ही सुनार तो घबरा गया. क्योंकि वो समझा कि कोई भूत प्रेत है. और वो जोर से चिल्लने वाला ही था कि ताऊ ने उसका मुंह भींच लिया.


इब ताऊ बोला - अबे गोटू चुप साले चुप...मैं तेरा दोस्त ताऊ हूं. चिल्लाये मत...


इब ताऊ की आवाज सुन कर गोटू की जान मे जान आई ..और बोला - यार ताऊ तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी. मैं तो समझा था कि कोई भूत प्रेत आगया.  वाह यार ये भी खूब रही.


ताऊ - हां ये तो खूब रही . पर इब आगे के विचार सै थारा?


गोटू सुनार - अरे यार विचार क्या है? चल भाई बैठ कर  बांट लेते हैं. जब दो महा ठग मिल जाते हैं तो आखिर झगडा तो निपटाने मे ही भलाई है.


इसके बाद दोनो महा ठग दोस्तों ने माल का बराबर बंटवारा कर लिया. और अपने अपने रास्ते लग लिये. दोस्ती दोनो की अटूट रही. जय हो दोनो ठगराजों की.

 

असल मे हम सारी जिंदगी भी इसी आपाधापी मे निकाल देते हैं. हर हार के बाद एक जीत..फ़िर वही हार और फ़िर वही  जीत... हम अपनी असल जिंदगी भी ताऊ और गोटू सुनार की तरह हार-जीत मे निकाल देते हैं. घडी के पेंडूलम की तरह.

 

कहने को ये हमारी लोककथाएं हैं पर इनमे एक गूढ संदेश छुपा हुआ रहता है. बस हास्य के साथ साथ इस संदेश को समझने की जरुरत है. आशा है इस लोक हास्य कथा सीरिज  का आपने आनन्द भी लिया होगा और इसके संदेश को भी समझा होगा.

 

 


इब खूंटे पै पढो :-

यह बिल्कुल दो  सप्ताह पहले की  बात है. ताऊ अपने किसी काम से बंगलोर गया था.


वहां कुछ तबियत खराब हो गई. जहां ताऊ रुका था वो लोग अपने फ़ंकशन की तैयारी   मे लगे थे. ताऊ को एक गेस्ट हाऊस मे ठहराया गया था.


इब ताऊ को तो आप जानते ही हैं कि बेचारा निहायत शरीफ़ आदमी है. किसी को जबदस्ती तंग नही किया करता. सो ताऊ ने सोचा कि इब जरासी तबियत खराब है , इसके लिये मेजबानों को क्या फ़ोन करना? यहीं किसी अस्पताल मे दिखाकर दवाई गोली ले लेते हैं.


इब ताऊ घूमता फ़िरता हुआ एक अस्पताल मे घुस गया. और वहां रिशेप्शन पै बैठी
एक सुथरी सी छोरी को जाकै बोल्या - जी डागदरनी जी, म्हारै तो शायद घणा तगडा बुखार हो राख्या सै. किम्मै दवाई गोली दे दो.


रिशेप्शनिस्ट बोली- देखिये, पहली बात तो ये कि मैं डाक्टरनी नही हूं. और इस अस्पताल मे बुखार का इलाज नही होता.......


ताऊ बीच  मे ही बात काट कर बोला - अरे छोरी..मन्नै बेकूफ़ क्युं बणावै सै? इब यदि अस्पताल मे बुखार का इलाज नही होगा तो बुखार का इलाज  क्या मंदिर मे होगा?


वो बोली - आप बात को समझते क्यों नही? ये मस्तिष्क चेंज करने का अस्पताल है. यहां लोगो का मस्तिष्क ट्रांसप्लांट किया जाता है.  आप कहीं दुसरी जगह जाकर अपना इलाज करवा लिजिये.


इब ताऊ को किम्मै आश्चर्य हुआ. सो उसने पूछा उससे कि ये दिमाग कहां से आते हैं बदलने के लिये? 


अब वो रिसेप्शनिष्ट लडकी बोली - सर हम अरेंजमैंट कर देते हैं. अगर आपको भी देना हो अपना दिमाग तो बताईये.


ताऊ को और भी आश्चर्य हुआ - आप दिमाग का रेट किस तरह फ़िक्स करते हैं?


वो बोली - देखिये, वकील का दिमाग २ लाख में, डाक्टर का डेढ से दो लाख में, और
किसी भाई का लगवाना हो तो आठ दस लाख मे मिल जाता है.


ताऊ : और इसके अलावा कोई हो तो?


वो बोली - देखो मेरा समय तो खोटी करो मत. साधारण आदमी का दिमाग ५० हजार मे भी मिल जाता है. और कोई बहुत ही शरीफ़ आदमी हो तो उसका मुफ़्त मे भी मिल जाता है. और सबसे महंगा ताऊ का दिमाग १५ लाख मे भी मुश्किल से मिल पाता है.


इब ताऊ को घणा आश्चर्य हुआ और पूछने लगा कि जब वकील और  डागदर के दिमाग डॆढ से दो लाख मे मिल जाते हैं तो ये ताऊ के दिमाग के १५ लाख क्यों? यानि ताऊ का दिमाग इतना महंगा?


वो रिशेप्सनिष्ट बोली- देखिये, बात यह है कि वकीलों और डाक्टरों के दिमाग तो  काम मे ले लेकर घिस जाते हैं और बहुत ज्यादा खर्च हो चुके होते हैं. और ताऊ का दिमाग इस लिये इतना महंगा होता है कि वो बिल्कुल अनयुज्ड होता है.


ताऊ : अनयुज्ड दिमाग से  क्या मतलब? मैं कुछ समझा नही?


वो बोली - बात ये है कि ताऊ दिमाग कभी काम मे ही नही लेता. यानि बिना दिमाग लगाये काम करता है . तो घिसने या खर्च होने का क्या काम?


Comments

  1. क्या गोटू सुनार और ताऊ वाली श्रृंखला की यह समापन किश्त है ? लोक कथाएँ दरअसल हमारे अतीत की ही अनुगूंज हैं -बचपन की मधुर किस्सागोई की यादों को कुरेदने का जरिया हैं ! मौजूदा दुनियावी झमेलों में यह बहुत मुश्किल काम हो चला है अब मगर आपने कर दिखाया ! जरा पीठ इधर कीजिये ओबामा की स्टाईल में कुछ थपकियाँ दे दूँ !

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  2. गज़ब का किसा और गज़ब का दिमाग, बधाई!

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  3. ताऊ सही कहा है आपने हम जिन्दगी का काफी वक्त एक दुसरे को हराने जिताने में ही गँवा देते है काश गोटू सुनार और ताऊ की तरह अपनों के साथ आपसी समझ और समझोते से चलें तो इस हारने हराने में समय ही क्यों खर्च हो ! यदि गोटू सुनार और ताऊ पहले ही समझोता कर लेते तो इन्हे एक दुसरे को पटकनी देने के लिए इतने पापड़ तो नही ही बेलने पड़ते | और फ़िर अपनों को हरा भी दिया तो वो जीत भी किस काम की |

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  4. अरे वाह। एकदम खांटी पोस्ट। मजा आ गया। खूंटे पर तो लगता है अभी बहुत कुछ लटका या बांधा पडा है। एक एक कर सब चराते जाओ ताउ, मजा आ रिया है।

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  5. waah sulah ho gayi,bahut khub,sach lok kathaon se bahut achhe sandes milte hai,khunte pe mazedaar hai:)

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  6. 'छ्युंरी '-एक नया शब्द मालूम हुआ..
    'हर हार के बाद एक जीत '..'फ़िर वही हार और फ़िर वही जीत'-जीवन इसी में एक पेंडुलम की तरह टकराता रहता है..
    हमारी लोककथाएं कुछ न कुछ सीख देती हैं यह सच है.
    इस हास्य कथा से भी संदेस मिला.
    खूंटे पर पता चला --क्यों है ..ताऊ का दिमाग इतना महंगा!

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  7. देसी भाषा में किस्‍से सुनने में जो मजा आता है उसका कोई मुकाबला नहीं। आपको ढेर सारी बधाइयां कि आपके लिखे किस्‍से पढ कर सुकून मिलता है।

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  8. क्यों ताऊ.. काहे को बुरबक बना रहे हैं?
    बैंगलोर में हरयान्वीं कोई ना समझे है.. :D

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  9. बहुत ही मार्गदर्शक सीरियल था. घना ५० लाख वाला . आभार.

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  10. ताऊ ऐ कहाणी तो बचपन में सुणी हुई है पर आपके अन्दाज में पढ़ने में मजा आया.. कहानी तो जरुर सु्नी पर संदेश भूल भाल गये.. वो भी याद दिला दी... हमको अन्दाजा नहीं था कि ताऊ कहानी का समापन संदेश से करेगा....

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  11. छ्युंरी शब्द की जानकारी आज ही मिली पर बचपन खूब देखते थे। सच कहा जिदंग़ी के बारें में। कभी किसी कव्वाली में सुना था कि " जो जिदंग़ी को समझा है वो जिदंग़ी पर रोता है।"
    आज तो खूँटा देखकर डर सा लग रहा था। वैसे ताऊ तो होना ही था इतना महँगा।

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  12. सुलह समझौते हो जाए यही अच्छा है, वरना एक जिवन मिला है, वही रार में कट जाए.

    खूंटा भी ठीक है. और ब्लॉगर का दिमाग 20 लाख का होगा ही होगा... :)

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  13. आदमी महा ठग हो या नही.. झगडा तो किसी भी तरह से निपटाने मे ही भलाई है...

    किसने कहा ताऊ का दिमाग़ अन्यूस्ड है.. अरे ताऊ का दिमाग़ तो कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है..

    इतने सारे विजेता.. इतनी सारी पहेलिया.. ये तो सिर्फ़ ताऊ का दिमाग़ ही कर सकता है..

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  14. इसके बाद दोनो महा ठग दोस्तों ने माल का बराबर बंटवारा कर लिया. और अपने अपने रास्ते लग लिये. दोस्ती दोनो की अटूट रही. जय हो दोनो ठगराजों की.
    " दोस्ती के अनूठी मिसाल..." ताऊ जी के अनयुज्ड दिमाग की इतनी कीमत......ताऊ जी खतरा मोल ले लिया आपने सरे आम दाम बता के....आब जरा गोटू से बच के रहना.....कहीं दोस्त "मुहं में राम बगल मे छूरी" वाली कहावत पे अम्ल न कर दे....आकिर बात १५ लाख की है न हा हा हा हा हा हा हा हा "

    Regards

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  15. बहुत सुंदर ...........

    ताऊ बात तो चोखी से.......इंसान जिंदगी काड देता है आगे निकलन की खातिर, पर जाता पाछे ने ही से.
    खूंटा भी हमेशा की तरह हंसी के ठिठोले भरे हुवे.........
    राम राम

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  16. ये बहुत अच्छा किया कि दोनों ने दोस्ती कर ली...कितना सही लिखा है आपने ताऊ, ये आगे पीछे, हार जीत में जिंदगी निकल जाती है...चूहा दौड़ में क्या आगे क्या पीछे...आख़िर रहोगे तो चूहा ही न. खूंटा जबरदस्त था...हमेशा की तरह.

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  17. खूंटा सही गाडा है....राम राम

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  18. "वो बोली - देखिये, वकील का दिमाग २ लाख में, डाक्टर का डेढ से दो लाख में, और
    किसी भाई का लगवाना हो तो आठ दस लाख मे मिल जाता है. "

    और ब्लॉगर का दिमाग? उसका क्या रेट है?

    ताऊ के दिमाग का क्या कहना! ताऊ का दिमाग कीमती होना ही है.

    लोककथा शानदार रही.

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  19. इतना पैसा मिलेगा तो हम भी बेचे देते हैं... अब यूज तो वैसे भी नहीं होता :-)

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  20. Taau bina dimag ke hi itni achhi aur sachi baat kar rahe hai to fijul mai dimag ghisne ki jarurat bhi kya hai taau ko....

    majedaar kissa

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  21. वा‍ह रे ताऊ क्‍या दिमाग पाया है थमने जमायै ताई बरगा मजा आ ग्‍या पढके छा गए गुरू अरे छाए तो पडे ही हो ताऊ

    बहुत बढिया

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  22. ताऊ, सचमुच आज की पोस्ट में तो आनन्द आ गया.बहुत ही सुन्दर संदेश दिया आपने.
    ईश्वर ने गिनचुन कर चार दिन की तो जिन्दगी बख्शी है. उसे भी हम लोग लड झगड कर ,रो पीट कर गुजार रहे हैं.
    अरे भाई किस चीज का झगडा है.बस प्रेम से जिओ ओर जीने दो.

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  23. बेहतरीन संदेश,,,


    दोनों समझदार भी थे और दोनों चालबाज-इस करके सुलह हो गई...वरना मामला अटक ही जाता.

    खूंटा हमेशा की तरह बेहतरीन गड़ा.

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  24. अच्छा लग रहा है ताऊ, थारा खूंटा तलै तै कुछ ज्यादा ही......... यें पाताललोक के मैसेंज़र कित तै लगाये...?

    एक बात और बताऊं हरियाणा एक्सप्रैस पै ईबकै तो ग़ज़ल ताई तै बी समर्पित कर दी.... ताई का आशीष जरूर भिजवाइयो..

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  25. चलो, हमारे दिमाग की कुछ तो वेल्यू है जी।

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  26. ताउ अनयूज्‍ड की घणी कम कीमत। मामला गड़बड़ है। सच्‍ची-सच्‍ची बताओ।...वरना जर्मन वाले राज भाटिया जी के शिकायतनामें में छपवा दूंगा।

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  27. बहुत सुंदर संदेश दिया ताऊ आप ने इस कहानी के माध्यम से, अब पेसो का जुगाड भी कर ले, ओर यह खूंट तो घणे दिनो वाद दिखा, भेंस तुडबा कर जो भाग गई थी.
    राम राम जी की

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  28. वाह बहुत बढ़िया ! इतना अच्छा अनयूज्ड मस्तिष्क से ?
    घुघूती बासूती

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