नेता बनाम डाकू

neta-daku1
नेताजी जन्सम्पर्क पर निकले
सभास्थल से पहले ही
दस्युओं के हत्थे चढ गये
मुश्कें बांध दी गई
डाकू सरदार के सामने पेश किये गये
नेताजी बुरी तरह हांपे
सरदार की त्योरियां देख कांपे
डाकू सरदार बोला -
अरे डर मत यार
हम तुम एक
हमारे इरादे नेक
जनता की पैदाइश हैं
मुझे नोट दिये
तुझे वोट दिये
तुमको सत्ता
मुझको बंदूक
निशाने दोनों के अचूक
हम खुश अड्डे बदल कर
तुम खुश दल बदल कर
कोई फ़र्क नहीं
हम हैं पक्के फ़्रेंड
जनता को लूटने मे ट्रेंड
युं समझो कि सगे भैया
रास्ते अलग पर
दोनों का लक्ष्य है रुपैया
पुलिस हमेशा आगे पीछे
यानि तुम्हारे आगे
और मेरे पीछे
यहां अपनों के बीच आये हो
कुछ दिन मौज मस्ती करो
कल एक बैंक लूटने का इरादा है
फ़िर ये जगह छोडने का वादा है
आपसे नये अडडे का फ़ीता कटवाना है
उसके बाद आपको
घर भिजवाना है

(इस रचना के दुरूस्तीकरण के लिये सुश्री सीमा गुप्ता का हार्दिक आभार!)

Comments

  1. ऐन चुनाव के समय-एक दिन पूरा उदघाटन के लिए..डाकू भाई, यह तो डकैती है. :)

    बेहतरीन रचना.

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  2. यह है सामयिक कविता -जोरदार ,शुक्रिया !

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  3. ताऊ छा गये आज तो. बिल्कुल सही कहा.

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  4. अच्छा जनसम्पर्क करवाया नेताजी को.

    और वैसे भी जहर को जहर ही मारता है.

    सूंदर सटीक और सामयिक रचना.

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  5. तल्ख हकीकत... क्या किया जा सकता है.

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  6. बहुत जोरदार कविता...आज का सच बयां करती हुई...सीमा जी व्यंग भी कितना बढ़िया लिखती हैं आज पता चला..वाह.
    नीरज

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  7. नये अडडे का फ़ीता कटवाना है,
    उसके बाद आपको घर भिजवाना है
    नेता जी फंस गए मुश्किल में आचार संघिता लागु हो गयी है
    चुनाव आयोग जवाब मागने लगेगा , नेता को दबोचने लगेगा .
    बहुत अच्छी रचना .

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  8. वाह, मजा आ गया।

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  9. aaj ke mahol pr bilkul fit baithti hai ye kavita...

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  10. लो जी,कविता के बहाने आपने तो पूर्णत: सच्चाई ही लिख डाली.......बहुत बढिया.....

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  11. आज आप की लिखी व्यंग्य भरी इस रचना के शीर्षक से लगा था कि आज ताऊ जी हास्य कविता लिखे होंगे.मगर यह तो एक कटाक्ष है.लगता है चुनावों के माहोल का असर है.

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  12. जनता को लूटने मे ट्रेंड युं समझो कि सगे भैया रास्ते अलग पर दोनों का लक्ष्य है रुपैया पुलिस हमेशा आगे पीछे यानि तुम्हारे आगे और मेरे पीछे यहां

    " ha ha ha ha ha ha ha lgtaa hai tahu ji thgi ka trika smjha rhe hai ha ha ha vaise bhi thgi dketi me tau ji kaa koi saani nahi"

    regards

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  13. मौसेरे भाइयों की कविता बहुत जमी। आगे भी इनके ज्वाइण्ट वेंचर के बारे में बताया जाये।

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  14. Taau
    Raam Raam

    Neta aur Dako, jordaar kavita hai.
    Aap to jo bhi likhte hain chaa jaate hain.

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  15. बहुत ही ज़ोरदार व्यंग है !!!!!!!!

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  16. बेहतरीन जुगलबन्दी के लिए आभार।

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  17. काश वो डाकू नेताओं को इलेक्शन भर पकड़ के रख लें...छोड़े ही न, मज़ा आ जायेगा.

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  18. सीमा गुप्ता जी की कविता और सीमा गुप्ता जी की हा...हा....हा!!!! बात हज़म नहीं हुई:) हाजमोला चाहिए- REGARDS.

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  19. राम राम
    बहुत अच्छा लगा ताऊ जी/ सीमा जी
    स्नेह,
    - लावण्या

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  20. बिलकुल सच आज के नेता ´कल के मवाली ही तो थे, कोई चोर,कोई डाकू तो कोई जेबकतरा.... सीमा जी आप ने बिलकुल सच लिखा है, ओर बहुत सुंदर ढंग से .
    धन्यवाद

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  21. एक ने पहनी टोपी खादी
    एक ने खोंसा चाकू
    चोर-चोर मौसेरे भाई
    एक नेता एक डाकू


    भई! ये लोकतन्त्र है...

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  22. आदरणीय ताउ जी
    राम राम
    यह आप कहाँ फंस गये थे
    और इसमेँ कौन सा रोल निभा रहे थे ,यह ज़रा स्पष्ट नहीँ हो पा रहा है

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  23. एक बात समझ नही पाये कि कविता किस्की सै । ताऊ कि सीमा जी कि या------ पर भाई आम खाणे सै कै पेड गिणने सै । मै नै तो मजै सै मतलब है ।

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