जान बची तो करोडो पाये :ताऊ

बहणों, भाईयों, भतिजियों और प्यारे भतीजो, सबको आज बुधवार की घणी रामराम.  

इब आप कहोगे कि आज ये बिना मतलब सूबह सूबह ताऊ  रामराम क्युं करण लाग रया सै? तो बात ऐसी होगई कि कल ताऊ जंगल मे लकडी काटने के लिये गया था. वहां जंगल मे घुसते ही देखा कि एक शेर एक पिंजरे मे बंद था. शेर को पिंजरे मे बंद देख कर ताऊ उसके आगे से निकल कर जाने लगा तो उस शेर ने बहुत ही विनम्र शब्दों मे ताऊ को पुकारा.

 

lion-&-taau

 

शेर : अरे ताऊ जी रामराम. 

ताऊ : रामराम भाई रामराम.

शेर : ताऊ जी कहां जा रहे हो?

ताऊ : भाई शेर. ताऊ कहां जायेगा? यानि वो ही रामदयाल और  वो ही गधेडी.

शेर : ताऊ, मैं कुछ समझा नही. 

ताऊ : इसमे ना समझने वाली कौन सी बात है?  जैसे रामदयाल और उसकी गधेडी को उम्र भर वही मिट्टी लाकर मटके बना कर बेचना है. वैसे ही ताऊ को भी रोज जंगल से लकडी काट कर और उनको बेचकर बीबी बच्चों का पेट पालना है. ताऊ ने थोडा तल्खी से कहा.

 

( शेर ने ताऊ की नाराजगी बढी देखी और लग गया कि उसका काम नही बनेगा ताऊ के पास तो  शेर ने पिंजरे मे ही चिलम सुलगा कर, वो चिलम ताऊ की तरफ़ बढाकर बोला) -

लो ताऊ जी जरा दो कश लगाते जाओ. आप थक गये होंगे. बहुत बढिया और ताजा तंबाकू है.

 

और ताऊ ने पिंजरे से ही चिलम पकडी और दो चार कश लगा कर बोला - अच्छा भाई इब रामराम. मैं जाता हूं अब लकडी काटने.

 

अब शेर अपने मतलब की बात पर आया और बोला - ताऊ जी जरा इस पिंजरे का दरवाजा तो खोल दो . बाहर से कुंडी लगी है इसकी.

 

अब ताऊ ने देखा तो सारा माजरा समझ मे आगया कि क्यों आज शेर ताऊ को चिलम पिला रहा था?

 

सो ताऊ बोला - भाई शेर, बात ये है कि अगर मैने ये कुंडी खोल कर तुमको पिंजरे के बाहर किया तो तुम सबसे पहले मेरे को ही खा जाओगे.  इसलिये मैं नही खोल सकता. और ताऊ चलने लगा.

 

अब शेर गिडगिडाकर बोला - अरे ताऊ, आप भतीजे पर इतना भी यकीन नही करते क्या? आपको खाने का तो सवाल ही नही उठता. एक तो आप मेरे ताऊ और मैं आपका भतीजा. अब ऐसा कभी हुआ है कि भतीजे ने ताऊ को खाया हो?

 

ताऊ बोला : यार शेर भाई, लोग कहते हैं कि शेरों के कैसे ताऊ? मुझे तो यकीन नही होता और डर भी लगता है. सो मैं तो नही खोल सकता. इब रामराम.

 

शेर ने अपना पैंतरा खाली जाते देख कहा - अरे ताऊ जी आपका पाला किसी ऐरे गैरे भतीजे से पड गया होगा, मैं उस किस्म का नही हूं. और फ़िर आप तो मेरी जान बचाने वाले हैं और मैं इतना भी कृतघ्न नही हूं कि आपको खाऊं? 

 

आप तो बेखटके पिंजरे की कुंडी खोल कर मुझे बाहर करो. वर्ना सर्कश के  शिकारी आकर अब मुझे ले जायेंगे और मैं इस जंगल मे राज करने वाला वनराज सर्कश मे लोगों को सलाम करता नजर आऊंगा. 

 

और बेवकूफ़ ताऊ को दया आगई. उसने शेर को पिंजरे से आजाद कर दिया.

 

जैसे ही शेर बहर आया. उसने बाहर निकलते ही ताऊ की गर्दन पकड ली, और ताऊ डर के मारे थर थर कांपने लगा. यानि ताऊ की तो घिग्घी बंध गई. एक क्षण तो ताऊ को लगा कि अपना तो रामनाम सत्य होगया.

 

पर जो इतनी आसानी से रामनाम सत्य करवा ले वो कैसा ताऊ?  सो ताऊ ने हिम्मत से काम लेना उचित समझा और बोला - यार शेर भाईजी, आप तो भतीजे होने का दम भर रहे थे और अब जान लेने पर उतर आये हो?

 

शेर बोला - देख बे ताऊ, तू ताऊ है तो ताऊ ही रहेगा. और मैं अगर भतीजा हूं तो भतीजा ही रहूंगा. पर जरा ये सोच कि मैं इस पिंजरे मे कितने दिनों से भूखा प्यासा बंद पडा था, और भूख के मारे मुझसे चला भी नही जारहा है. अब तुझको मैं खा लूंगा तो इस जंगल को उसका राजा वापस मिल जयेगा. और एक ताऊ कम हो गया तो कौन सी ताऊओं की कमी हो जायेगी? एक ढूंढों हजार ताऊ मिलेंगे. चल अब तैयार हो जा मेरे पेट मे जाने के लिये.

 

ताऊ ने अब भी जीने की आशा नही छोडी और बोला - यार शेर साहब, ये तो कृतघ्नता है आपकी. मैने आपके साथ भलाई की और आप भलाई का ये सिला दे रहे हो?

 

अब शेर जरा व्यंग से बोला - अरे ओ ताऊ, ये गीता ज्ञान किसी और को देना, मुझे मालूम है आजक्ल जिंदा रहने के लिये यही एक फ़ार्मुला है. हम तो जानवार हैं जो भूखे रहने पर ही ऐसे काम करते हैं. तुम इंसान कहलाने वाले तो रोज स्वाद के लिये कितने ही जानवरों को मार डालते हो? बस अब मुझसे भूख बर्दाश्त नही हो रही है. फ़िर भी तुम्हारी तसल्ली के लिये इस रास्ते (सडक) को पूछ लो कि मैं कुछ गलत काम तो नही कर रहा हूं?.

 

अब ताऊ के समने और कोई चारा ही  नही था. ताऊ भी समझ गया कि हम मनुष्यों की आदत इन जंगल के जानवरों को भी लग गई है. सो अपनी समस्या ताऊ ने सडक  को बताई कि मैने शेर के साथ भलाई की और अब ये मुझे खाना चाहता है. आप उचित न्याय किजिये.

 

रास्ता बोला - भाई इसमे क्या न्याय करना?  आजकल के न्याय के हिसाब से शेर आपको खायेगा ही. अब मुझे ही देखो ना, मैं लोगो को कितना अच्छा रास्ता चलने के लिये देता हूं ? फ़िर भी लोग मुझ पर ही गंदगी फ़ैलाते हैं. अत: शेर द्वारा तुमको खाया जाना निहायत ही न्यायसंगत है.

 

ताऊ ने सोचा कि अब कोई नही बचा सकता अपने को मरने से. इतनी ही देर मे शेर बोला - सुन  लिया ताऊ? अब भी तुमको लगता हो कि मैं अन्याय की बात कर रहा हूं तो इस सडक किनारे खडॆ आम के पेड से पूछ लो.

 

और शेर ने आम के पेड को पूछा कि - हे वृक्ष श्रेष्ठ, आप ही न्याय किजिये. और न्याय मे मनुष्यों के न्याय जितना विलम्ब ना करें. क्योंकी मैं कई दिनों का भूखा हूं.

 

इस पर आम का पेड बोला - हे वनराज आप तो बिल्कुल श्रेष्ठ और छाछ की छाछ और पानी का पानी करने वाले प्रजा पालक हो.  आपका निर्णय बिल्कुल न्यायोचित  है. 

 

और ताऊ सुनो आप अगर भलाई की ही बात करते हो तो  मुझे ही देखो ना. मैं लोगों को गर्मी मे शीतल छाया देता हूं. और इतने रसीले आम के फ़ल खिलाता हूं. फ़िर भी लोग मुझे पत्थर मारते हैं  आम  तोडने के लिये और कुल्हाडी से मुझको काट  डालते हैं. अत: शेर द्वारा आपको खाया जाना तर्कसंगत और सर्वथा न्यायोचित है.

 

अब ताऊ ने अपने प्राण बचने की उम्मीद छोड दी और प्रभु स्मरण करने लगा कि तभी  बसंती लोमडी उधर से निकल रही थी. लोमडी वैसे होती भी चतुर है और फ़टे मे पैर फ़ंसाने मे माहिर होती है. उसने मजमा लगा देखा तो आगई और सारा माजरा समझा.

 

अब बसंती लोमडी ने सोचा कि जबसे ये शेर पिंजरे मे था तबसे जंगल मे बडा आनन्द था. किसी जानवर का बच्चा भी गायब नही हुआ. अब इस ताऊ के बच्चे ने इसको बाहर कर दिया है तो खुद तो मरेगा ही और जंगल के जानवरों को मरवाने का इंतजाम भी कर दिया.

वहां आते ही बसंती बोली - युं कि ये माजरा क्या है? हमको कुछ समझ नही आया? कोई समझायेगा क्या हमको?

 

बसंती की बात सुनकर शेर ने उसकी तरफ़ तीखी नजरों से देखा और तुरंत ही बसंती बोली - सलाम वनराज. आज तो बडा अच्छा मोटा ताजा ताऊ हाथ लगा है आपके. बधाई हो.

इतनी देर मे ताऊ बीच मे बोल पडा - अरे बसंती बहन, देखो ना कैसा जमाना आ गया?  ये शेर पिंजरे मे बंद था और मैने इसको बाहर निकाल दिया और अब कहता है कि ताऊ  तुझको ही खाऊंगा. बताओ अब ये कहां का न्याय है? भलाई का जमाना ही नही रहा.

 

ताऊ के बोलते बोलते ही बसंती लोमडी बीच मे ही ताऊ को डपटकर बोली - अरे ओ ताऊ, जरा जबान संभाल कर बात कर. ये हमारे जंगल के महाराजाधिराज हैं. इनकी शान मे कुछ उल्टा सीधा बोला तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.  किसकी ताकत है जो इनको पिंजरे में बंद करदे? तूने समझ क्या रखा है? लगता है तुझे दंड देना ही पडॆगा.

 

बसंती लोमडी की ऐसी चापलुसी भरी बाते सुनकर शेर तो गदगदायमान हो गया. और बोला - अरे वाह प्यारी बसंती लोमडी. तुझको मेरी इज्जत की कितनी चिंता है? पर सही बात है कि मैं सर्कश वालों के इस पास पडे  पिंजरे मे गलती से  फ़ंस गया था. और इस मुर्ख ताऊ ने ही मुझे बाहर निकाला था.

 

अपनी योजना अनुसार अब बसंती बडे नाज से बोली - अरे महाराज, आप भी क्या मजाक करते हैं. इस पिंजरे मे तो हम नही आ सकते तो हमारे इतने मोटे ताजे और बलशाली महाराज कैसे आये होंगे? जाईये हम आपसे नही बोलते. आप हम से ही मजाक करते हैं.

 

अब शेर तो बिल्कुल फ़ूल कर कुप्पा होगया और बोला - अरे नही बसंती. सच मे ही मैं इसमे बंद था. विश्वास नही होता ना? लो मैं  वापस घुसकर दिखाता हूं. पर तुम नाराज मत हो मेरे से.

 

और शेर वापस पिंजरे मे घुसा. शेर की पीठ पिंजरे के दरवाजे की तरफ़ थी. अब बसंती ने ताउ को आंखों ही आंखों मे इशारा किया और ताऊ ने बिजली की फ़ुर्ती से पिंजरे का दरवाजा बंद करके ताला लगा दिया.

 

शेर को जब असली बात समझ आई तो वो बसंती को गालियां देने लगा. बसंती बोली - अबे तेरे जैसे एहसान फ़रामोशों ने ही इस खूबसूरत दुनियां को बदसूरत बना रखा है. पर याद रख बसंती  तेरे जैसों इस जंगल के सत्ताईस चक्कर लगवा कर पिंजरे मे बंद करवाती रहेगी.

 

ताऊ ने बसंती को धन्यवाद दिया और चलने लगा तो बसंती बोली - क्या ताऊ? सिर्फ़ खाली पीली फ़ोकट धन्यवाद ही देगा क्या? अरे तेरे ब्लाग की टीम में  मुझको  भी शामिल करले ना. सुना है बहुत सारे जानवर तेरे कुनबे मे  हैं ?

 

ताऊ ने समय आने पर उसको भी शामिल करने का वादा किया और जान बची तो लाखों क्या करोडों पाये वाले भाव से वापस लौट आया.

 

एक जरुरी जानकारी आपको देदे की एक नया सोफ़्ट्वेयर आया है जिसको किसी भी फ़ूलों के गुलदस्ते की तस्वीर के साथ लिंक करने पर उस तसवीर मे सुगंध आने लगती है. इस ब्लाग के दाहिनी तरफ़ सबसे उपर कई दिनो से इसी सोफ़्टवेयर के साथ गुलाबों का गुलदस्ता लगा हुआ है . 

 

इसी की वजह से आपको इस ब्लाग पर गुलाबों की खुशबू आती रहती है. आपको भी अगर आपके ब्लाग को ऐसा ही महकाना हो तो यहां से आप ये सोफ़्टवेयर   डाऊनलोड  करले और अपने ब्लाग को महकायें. आपको जिस फ़ूल की खुशबू चाहिये उसी का सोफ़्टवेयर डाऊनलोड करें. और एक जरूरी बात कि अभी सिर्फ़ गुलाब,  केवडा,  खस और रजनी गंधा की खुशबू ही उपलब्ध हैं.

 

यह खूशबू कैसी लगी आपको? अवश्य बताने की कृपा करें.

Comments

  1. ताऊ सही अप्रेल फूल बना रहे हो ३०० न. पर अप्रेल फूल बन लिए है यह जानते हुए भी कि ताऊ फूलों में खुसबू के नाम पर फूल बना रहा लेकिन ये अप्रेल फूल बनाने का ताऊ का अंदाज देखने के लिए बन लिए |

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  2. सीख -लोहे को लोहा ही काट सकता है !
    गुलाबों की गंध आपको ही मुबारक -आपको अलाटेद समय इस लम्बी पोस्ट को पढ़ने में खत्म हो गया ! आगे चलता हूँ राम राम !

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  3. आज कोई कमेन्ट आप के पोस्ट पर नहीं करेंगे .पहले यह बताइए कि शेखावत भाई क्या कह रहें है , मैं तो आपको को अब तक बडा शरीफ और यारों का यार मानता था .परन्तु शेखावत जी ने तो आपसे मेरा मोह ही भंग करा दिया .आपका स्पष्टीकरण चाहिए .

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  4. ताऊ आज तो सिर्फ राम-राम। आज के दिन आपकी किसी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हर कोई आज अप्रैल फूल बना रहा है तो ताऊ कैसे चुप बैठे रह सकता है। ये शेखावत जी वैसे ही बता चुके हैं कि कैसे आपने डाकदर साहब को भी चकमा दे दिया :)

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  5. ताऊ म्हारा यू शेर चार दिन ते गायब सै , पैले शेर कू वापस करदे .बाक्की बात फ़ेर करेगे .

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  6. पोस्ट बहुत अच्छी लगी ताऊजी.. खुशबू वाली बात में संशोधन करना चाहूंगा कि गुलाब, केवडा, खस और रजनी गंधा के अलावा पिछले महीने से ही मोगरे और चमेली की खुशबू भी यहां उपलब्ध कराई जा रही है। यह बात और है कि इसके लिए आपको खास किस्म के खुशबू वाले स्पीकर की जरूरत होती है। अगर आप पोस्ट में इसका जिक्र करते तो और भी बेहतर होता..

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  7. इसी की वजह से आपको इस ब्लाग पर गुलाबों की खुशबू आती रहती है. आपको भी अगर आपके ब्लाग को ऐसा ही महकाना हो तो यहां से आप ये सोफ़्टवेयर डाऊनलोड करले और अपने ब्लाग को महकायें. आपको जिस फ़ूल की खुशबू चाहिये उसी का सोफ़्टवेयर डाऊनलोड करें. और एक जरूरी बात कि अभी सिर्फ़ गुलाब, केवडा, खस और रजनी गंधा की खुशबू ही उपलब्ध हैं.



    " ha ha ha ha ha ha ha ha अप्रेल फूल "

    Regards

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  8. आप भी ताऊ? भतिजों को माफ करे देते..

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  9. ताऊ हम तो बच गये फ़ूल बनने से क्योंकी आपने तो हमारी पसंद बेशरम के फ़ुल की खुशबू रखी ही नही।बसंती ने वाकई बड़ा काम किया है,वर्ना रोज़ सुबह हंसने-हंसाने की बजाय टेंशन ही रहता।

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  10. जितना मजा अप्रैल फूल बनाने में है उतना ही मजा अप्रैल फूल बनने में भी आता है। इसलिये मैं तो चला रजनीगंधा की खुशबू लेने ।

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  11. ताऊ थारी बताई तो कोई खुशबू न आ रही.....कोई अजीब सी ही खुशबू दिखे हैं..))

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  12. मुझे हरसिंगार चाहिए ..वरना मैं ताऊ की इस पोस्ट में टिप्पणी नही करुँगी :-)

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  13. राम राम ताउ जी,
    आपने बहुत अच्छी बात बताई पड़कर अच्छा लगा।
    ऐसे ही हम सभी को हसंते रहना।

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  14. ताऊ जी राम-राम,
    आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी...
    अपने जो ब्लॉग महकने का लिंक दिया था वो देख कर ही समझ आ गया था की आप हमें अप्रैल फूल बना रहे है, पर फिर सोचा की चलो ताऊ की मन ही लेते हैं... अप्रैल फूल ही तो बना रहे है...
    मीत

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  15. वैसे तो सुबह से सर्दी हो रखी है ताऊ...पर आप कह रहे हो तो फूल की खुशबू सूंघ कर आते हैं. अप्रैल के फूल की खुशबू होती ही कमाल है.

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  16. बहुत अच्छी कहानी , पेड़ और सड़क का जवाब बहुत ही अच्छा था .
    आशीष और ताऊ दोनों ने आज अप्रैल फुल बनाने का जिम्मा ले लिया है .

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  17. फूल चाहे जो ,होना खुसबू वाला चाहिए...बढिया कहानी ...पंचतंत्र के बाद ये ताउनामा भी खूब चलेगा आमीन

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  18. बसंती तो रामप्यारी से भी स्मार्ट निकली.

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  19. खुशबू वाला सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके आज दूसरी बार अप्रेल फूल नहीं बनूँगा.

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  20. वाह क्या खुशबू है बसंती और रामप्यारी की- सारा ब्लाग महक उठा , बिना क्लिक किए ही, क्लिक करेंगे तो क्या होगा....

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  21. शेर की कहानी की आड़ में कितनी ज्ञान की बातां कर गया रे ताऊ...तेरी समझदारी का जवाब ही नहीं है....
    नीरज

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  22. अप्रेल का पहला दिन मुबारक ताऊ!

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  23. एप्रिल फूल बनकर मुस्कुराने लगेँ तब शर्तिया ये हमारे पूज्य ताऊ जी की करनी होती है ! :)
    - लावण्या

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  24. बहुत बधाई ताऊ महराज जान बचने की। वर्ना यह ब्लॉग तो अनाथ हो जाता!
    पर ताऊ ऐसे अण्टशण्ट काम करते/मुसीबत में फंसते ही रहते हैं। बेहतर है अपनी ब्लॉग-वसीयत लिख कर सम्भाल कर रखदें! :)

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  25. हमने तो कर लिया जी....धन्यवाद ....राम राम

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  26. ताऊ, मज़ाक मज़ाक में व्यंग करना और उसमें से छुपी हुई बोधयुक्त सीख को हल्के से कह जाना कोई आप से सीखे!!

    अप्रिल फ़ूल बनने के लिये इतने सारे लोग है, तो मैं कल देखता हूं.

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  27. सचमुच आपके अप्रैल फूल की खुशबू कमाल की है ताऊ ~!

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  28. बहुत बहुत बहुत बेहतरीन पोस्ट ताऊजी। कितनी बड़ी बात कितने आसान तरीक़े से। वाह वाह। आज के बाद आप हमें अपने क़ाइलों की फ़ेहरिस्त शामिल पाइएगा।

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  29. अरे ताऊ मुझे तो एलर्गी वेसे ही है, फ़िर इस फ़ूल ने इतनी खुशबु भर दी कमरे मै के मारे छीको मै बुरा हाल हो गया, अब इस बन्द केसे करू... पंगा तो मेने ताऊ के कहने से लिय है, जल्दी बताओ, वरना हरजाने का केस करुगां.. आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी आछी

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