शेरू महाराज ने दुसरे सेकेएटरी का भी काम तमाम किया

शेरू महाराज ने दुसरे सेकेएटरी का भी काम तमाम किया

अभी तक आप पढ चुके है कि शेरू महाराज के सेकेरेटरी बने डाक्टर को काम मे कोताही बरतने की वजह से शेर सिंह जी ने उसको प्रांण दंड दिया यानि उसको ही मारकर उदरस्त कर गये. उसके बाद उनका सेकेरेटरी बनने का मौका मिला उस ग्रेज्युएट आदमी को.  अब आगे पढिये.

 

ये आदमी फ़टाफ़ट शेर सिंह जी  के लिये खाना तलाशने निकल गया.  शेरसिंह जी नहा धोकर बस धुप बत्ती लगा ही रहे थे कि इसने आकर निवेदन किया – महाराज की जय हो.  हुजुर पधारिये..भोजन का शानदार प्रबंध हो गया है.

 

शेर सिंह जी तो इसकी अक्लमंदी और काम करने की स्टाईल..बोलने की स्टाईल पर ..बस फ़िदा हो गये.  यह उनको पास ही एक जगह लेगया…वहां हिरण घास चर रहे थे…बस शेर सिंह जी ने फ़टाक से एक हिरण का शिकार किया.. आराम से बैठ कर खाया..और छांव मे लेट गये..

 

इस आदमी से उन्होने कहा कि –ये बचा खुचा मांस तू खाले.  फ़टाफ़ट..फ़िर अगला काम भी करना है.

 

वो आदमी बोला – हुजुर मैं उंची जात का हूं. किसी का जूंठा मांस या खाना नही खाता.  बस इसका इतना कहना था कि शेर हुजुर का तो दिमाग घूम गया और उन्होने जैसे ही आंखे तरेरी वो आदमी सीधा उस बचे खुचे हिरण को ही खाता दिखा.    उस आदमी ने बचा खुचा मांस खा कर डकार ली. और शेर के सामने हाथ जोड कर खडा हो गया.

 

अब शेर सिंह जी बोले – चल मेरे पांव दबा. वो आदमी पांव दबाने लगा. शेर सिंह जी ने हल्की नींद निकाली. तब तक वो आदमी उनके पांव दबाता रहा. अब शेर सिंह जी ने ऊठकर अंगडाई ली और उस आदमी को पानी लाने का हुक्म दिया.  पास के ही झरने से वो पानी ले आया.  शेर सिंह ने पानी पीकर उस आदमी को भी कहा – चल अब तू भी आराम करले थोडा.

 

वो भी वहीं छांव मे बैठ गया.  अब शेर ने उसको पूछा – सेकेरेटरी…तूने कुछ देखा?  वो बोला – क्या महाराज? मैने तो कुछ भी नही देखा?

 

शेर बोला – अबे तुम लोगों को इसीलिये तो शहर मे नौकरी नही मिलती.  जरा आंख नाक और कान खुले रखा करो.  वो देख..वो दूर एक बाघिन दिखाई दी तेरे को?

 

वो आदमी बोला – महाराज, वो तो उधर झाडियों मे काफ़ी देर से खडी है. 

 

शेर बोला – हां यार, ये बाघिन मेरे पीछे पडी है.  मैं जहां भी जाता हूं वहीं पहुंच जाती है.  और मुझे बडी मीठी मीठी निगाहों से घूरती है.  मुझे लगता है – ये बाघ की बीबी मुझ पर आशिक हो गई है. लगता है यार… ये मुझ पर मर मिटी है. और अब तो मेरे भी दिल मे कुछ कुछ उसके लिये होने लगा है.

 

वो आदमी तुरंत ही बीच मे बोल पडा – महाराज दूसरे की बीबी की तरफ़ गंदी नजर रखना पाप है.  और वो बाघिन अपने बाघ पर आशिक है.  वहीं नीचे उसका बाघ भी लेटा हुआ है.  आप ध्यान से देखिये वो उसको चाट भी रही है.  वो अपने पति बाघ पर ही आशिक है.

 

शेर बोला – अबे बेवकूफ़ ..वो मुझ पर आशिक है.. और वो आदमी अडा रहा कि नही वो तो बाघ पर ही आशिक है.  बस शेरू महाराज को गुस्सा आगया और उस आदमी की भी मूंडी तोड  कर उसका भी काम तमाम कर दिया

 

अब उस आदमी के बाद ताऊ का नम्बर आया शेर का सेकेरेटरी बनने का..  ताऊ के साथ क्या हुआ? क्या ताऊ का भी काम तमाम हुआ?  क्या ताऊ ने अपनी जान बचाई?  और अगर बचाई भी तो कैसे?   ये सब अगले भाग मे पढियेगा.

 

 

क्या ताऊ ने शेरु महाराज को ब्लागिंग सिखाई?…और किस किस ब्लागर का नम्बर आया….?  और किस बात के लिये आया? 

 

ये और बहुत कुछ अगले भागों में.  आपभी अपने विवरण के लिये रजिस्ट्रेशन कराईये. 

 

अभी तक पिछले अंक मे हमसे सुश्री लावण्या जी,  श्री  मकरंद और पी.डी. ने रजिस्ट्रेशन करवाया है जो कि कर दिया गया है.  आप भी जल्दी करें.  हो सकता है शेर सिंह जी का दिमाग बदल जाये और आप इस सुनहरी मौके से चूक जायें.  आगे आपकी मर्जी. 

 

 


इब खूंटे पै पढो :-

बात काफ़ी पुरानी है.  ताऊ ,  राज भाटिया जी और योगिंद्र मोदगिल जी तीनों स्कूल मे कई कई बार  फ़ेल हो गये और उनको तीनों को स्कूल से निकाल दिया गया.

डर के मारे तीनों स्कूल से वापस घर नही गये.  क्योंकि घर वापस पहुंचने पर उन तीनों को ही काफ़ी तगडा इनिशियल एडवांटेज मिलने का डर था.

स्कूल से घर के रास्ते मे तीनों ने एक जगह बैठ कर बीडी सुलगा ली और यह तय किया कि पढाई लिखाई तो अपने बस की बात है नही. अगर घर वापस गये तो पिटाई तो होगी ही और फ़िर पढने के लिये स्कूल जाना पडेगा.

अंत मे तीनों ने तय किया कि हिमालय चलते हैं और वहां शिवजी भगवान की तपस्या करते हैं . उनसे वरदान मांग लेते हैं.  इस तरह पढने से भी पीछा छुट जायेगा. और वरदान मे तगडा माल मांग लेंगे फ़िर जीवन भर ऐश मौज करेंगे.

तीनों ने हिमालय पहुंच कर घनघोर तपस्या शुरु कर दी.  एक दिन उन तीनों की तपस्या से खुश होकर
शंकर भोले नाथ प्रगट होगये.

शिवजी बोले -  बच्चों मैं तुम्हारी तपस्या से अति प्रशन्न हूं. मांग लो क्या वरदान मांगते हो?

सबसे पहले भाटिया जी बोले -  महाराज मुझे तो रोजी रोटी कमाने के लिये विदेश भिजवा दिजिये.

शिवजी बोले – तथास्तु.  और भाटिया जी सीधे पहुंच गये जर्मनी. 

अब इसके बाद मोदगिल जी का नम्बर आया –

शिव जी बोले – बच्चा  मांग..ले क्या चाहता है?

मोदगिल जी बोले – बाबा..मुझ पर सरस्वती प्रशन्न रहें और मैं एक ऊंचे रुतबे वाला कवि बन जाऊं.

शिवजी बोले – तथास्तु वत्स.  ऐसा ही होगा.  और मोदगिल जी बन गये कवि.

अब भोले बाबा ने ताऊ की तरफ़ रुख किया और बोले – ताऊ,  मांग ले ..आज मैं तुझ पर अति प्रशन्न हूं.  अब जल्दी कर..मुझे और दुसरी जगह भी वरदान देने जाना है, यहां बहुत देर होगई.

ताऊ बोला – शिवजी महाराज . आप अगर मुझ पर प्रशन्न ही हो तो मुझे एक बढिया वाला एल्विस प्रिस्ले जैसा गिटार देदो.

शिवजी बोले – अरे ओ बावली बूच ताऊ..कुछ ढंग की चीज मांग.. ये क्या गिटार मांगता है?  कुछ धन दौलत….शौहरत मांग..बेवकूफ़.

ताऊ बोला – नही शिवजी महाराज..अगर देना ही  है तो मुझे तो गिटार ही चाहिये.

शिवजी बोले – ताऊ बात को समझ और दुसरी कोई चीज मांग ले.

पर ताऊ भी जिद्द पर अड गया कि लूंगा तो गिटार ही लूंगा वर्ना कुछ नही लूंगा.

अब शिवजी नाराज होते हुये बोले – अरे बावलीबूच ताऊ,  तू समझता कोनी के? अरे बेवकूफ़ अगर मेरे पास गिटार ही होता तो मैं डमरू बजाता क्यों फ़िरता?


 

 

कृपया पहेली प्रकाशन के लिये वोट किजिये.  कल के अंक में परिचयनामा मे पढिये श्री समीरलाल “समीर” से ताऊ की अंतरंग बातचीत.  जानिये उडनतश्तरी के जीवन के कुछ अनछुये पहलूओं के बारे में….पहली बार..कल सूबह ५:५५ AM पर.

Comments

  1. ताऊ, शेरु महाराज के ब्लॉग खुलवाने के पहले जरा सोच लेना..कम टिप्पणी आई तो बस, आपका काम डला ही समझो.

    गिटार धरा रह जायेगा, बता रहा हूँ!!

    ReplyDelete
  2. ताऊ ने वरदान भी बेकार कर दिया। हाँ शेर को जरूर मजा चखा दिया होगा!

    ReplyDelete
  3. जय हो ताऊ महाराज की जय.

    शेर्सिंह जी क्या गजब करेंगे? इंतजार करते हैं. और फ़िर ताऊ को गिटार मिला कि नही?

    ReplyDelete
  4. गजब का किस्सा चल रहा है. पर अब क्या होगा? शेर ताऊ को खायेगा या ताऊ शेर को खायेगा? उत्सुकता बढ गई है.

    ReplyDelete
  5. ये ताऊ कहीं ये तूं अपनी आत्मकथा तो नहीं बांच रिया है ?

    ReplyDelete
  6. ताऊ तो अब जंगल में मंगल कर रहा है. हमको भी बुला ले ताऊ. यहां तो मंदी छाई है है.

    ReplyDelete
  7. ताऊ इस प्रकार की एक कविता विवेक भैया पहले भी सुना चुके है अपने ब्लोग स्वप्नलोक मे ।
    आओ तुमको आज बताएं ।
    कलयुग में है कैसी भक्ति ॥
    विषय-वासना में सब डूबे ।
    छोड न पाए ये आसक्ति ॥
    एक भक्त ने करी तपस्या ।
    शिवजी को प्रसन्न कर लिया ।।
    नन्दी पर चढ आए भोले ।
    बोले "भक्त माँगता है क्या ?
    खुलकर आज माँगले कुछ भी ।
    तुझे वही वर मिल जाना है ॥
    बोल तुझे अप्सरा चाहिए ।
    या लक्ष्मी का दीवाना है ? "
    सुनकर भक्त हो गया पागल ।
    लगा नाचने वहीं खुशी से ॥
    बोला "मुझे लक्ष्मी से क्या ?
    मुझे चाहिए तो बस डीजे ।।"
    शिवजी को तब हँसी आगई ।
    उसका हाथ पकडकर देखा ।
    बोले "तेरी कमी नहीं हैं ।
    इसमें नहीं अकल की रेखा ॥
    तुझको इतनी समझ नहीं हैं ।
    अरे बावली बूच नूँ बता ॥
    मेरे पै जो डीजे होता ।
    मैं क्यों डमरू लिए घूमता ?"

    ReplyDelete
  8. बहुत बढिया ताऊ जी. मजा आगया, कहीं पर निगाहें -कहीं पर निशाना .

    ReplyDelete
  9. लोकतन्त्र के दण्डक वन में, जय हो शेरू राजा की।
    खूब कहानी गढ़ डाली है, एक भ्रष्ट महाराजा की।
    याद करेगी सारी दुनिया, ताऊ का ताऊ-नामा।
    ब्लाग-जगत में चहक रहा है,शब्दों का ताना-बाना।

    ReplyDelete
  10. कहानी मस्त जा रही है... और खुटां भी..


    समीर जी से बातचित का इंतजार है..

    ReplyDelete
  11. अगली किस्त मैंह शेर का काम तमाम तो होया समझो!!! पक्की बात.

    अर ताऊ! मनै नयूं समझ कोणी आई के गिटार की के धोक मारनी थी....जे मांगन ही बैठ गए तो फिर कोई चज्ज की चीज मांगनी थी.

    ReplyDelete
  12. ताऊ के सेकेरेटरी बनाने की बारी !
    अब आया है शेरू पहाड़ के नीचे.
    सबसे पहले तो इनिशिअल एडवांटेज रसीद होगा जंगल के इस बिगड़े नवाब के.
    उसे पता नहीं कि किस बावली बूच के पंगा लेने जा रहा है...

    ReplyDelete
  13. ये शेर सिंह और क्या क्या गुल खिलने वाले हैं अभी......और शिव जी के गिटार का क्या हुआ हा हा हा हा हा हा हा

    regards

    ReplyDelete
  14. भाई शेरू महाराज तो बहुत ही खतरनाक हैं बेचारे की मुंडी ही तोड़ दी, पता नहीं ताऊ का के होगा...
    मीत

    ReplyDelete
  15. ताऊजी खूंटे पर आकर याद ताज़ा हो गई।कुछ दिनो पहले फ़ुरसतिया भैया का फ़ोन आया।इधर-उधर की बातो के बाद वे बोले आप उस आवारा बंजारा संजीत को समझाईये और उसका ब्याह करवाईये। अहम बोले ये हमसे नही हो सकेगा,फ़ुरसतिया बोले क्यों?तो हम बोले हमने ही नही करी है तो उसे क्या समझायें। थी न हमारी स्थिति भी भोले शंकर जैसी। हा हा हा हा मज़ा आ गया ताऊ। आपको तो बीपी डाऊन करने के लिये अपने ब्लोग को पेटेंट करा लेना चाहिए।साला कितना भी टेंशन हो दो मिनट मे खल्ल्ल्लास्।

    ReplyDelete
  16. बहुत बढिया चल रही है ये कहानी भी. बस अब यहां शेर की ब्लागर बनने की कमी थी सो पुरी हुई. इंतजार करते हैं आगे की कथा का.

    और खूंटा तो आखिर खुंटा ही है.

    ReplyDelete
  17. ताऊ को गिटार चाहिये और वो भी एल्विस प्रिस्ले जैसा.:) कहां से लायेंगे भोले बाबा?

    ReplyDelete
  18. ताऊ को गिटार चाहिये और वो भी एल्विस प्रिस्ले जैसा.:) कहां से लायेंगे भोले बाबा?

    ReplyDelete
  19. देखें अब शेर का क्या होता है?

    ReplyDelete
  20. ताऊ अब तो आप शेर के सेकेरेटरी बन ही गये हो तो कुछ हमको भी नौकरी दिलवा दो वहीं पर,:)

    ReplyDelete
  21. शेरू महाराज की जय।

    -----------
    SBAI TSALIIM

    ReplyDelete
  22. बहुत बढिया ताऊ जी मजा आगया दिल भी खुश हो गया बेहतरीनन

    ReplyDelete
  23. पहले हमारा रजिस्ट्रेशन करो ताऊ. बाकी शेर सिंह तो हिट हो रहे हैं. ताऊ के साथ जमेगी इनकी तो :-)

    ReplyDelete
  24. bhut khoob ,
    apko phli bar hi pdha mn muskrakar rh gya .
    hmare shivji ko chod dijiye nhi to log unke pas dmru bhi nhi rhne dege .
    fir hm indor ke konsi mandir me javege .

    ReplyDelete
  25. tauji mera ragistration bhi kar hi dijiye...

    ReplyDelete
  26. ताऊजी के शेर महाराज के सेक्रेट्री बनने के साथ ही मैंने तो महामृत्युंजय मंत्र के जाप वाली सीडी उन्हें भिजवा दी है। अब मैं तो इतनी ही कर सकता हूं.. रजिस्ट्रेशन तो मैं भी कराना चाहता था, लेकिन मुझे तो शेर महाराज से बहुत डर लगता है इसलिए रहने ही दो.. खूंटा मजेदार रहा..

    ReplyDelete
  27. यह तो तय है कि ताऊ ने जान बचा ली है। अन्यथा पोस्ट कहां से आती! अब अगली पोस्ट की जिज्ञासा है!

    ReplyDelete
  28. शेर जिन्दा है या नहीं!

    ReplyDelete
  29. ताऊ, संभल के। बड़ा चैलेंजिंग काम है। लोग बिल्‍ली के गले में घंटी बांधते डरते हैं, यहां तो शेर के गले में रस्‍सी डालनी है :) राम-राम।

    ReplyDelete
  30. मजा आ रहा है. खूंटा तो पेशल ही रहता है.

    ReplyDelete
  31. बढ़िया, किन्तु केवल शिवजी को उनके पास गिटार नहीं है यह अभाव महसूस कराने भर से ताऊ को क्या मिला?
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete

Post a Comment